राज्यपाल ने कहा कि स्वामी रामतीर्थ ने अपनी ऐतिहासिक यात्रा टिहरी के प्रतापनगर से प्रारंभ की, जो चीन, हांगकांग, सिंगापुर होते हुए जापान तक पहुंची

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देहरादून। राज्यपाल Lt Gen Gurmit Singh ने आज राजभवन में स्वामी रामतीर्थ के जीवन-दर्शन और ऐतिहासिक यात्रा पर आधारित दो पुस्तकों, ‘‘कॉस्मिक लव’’ और ‘‘प्रतापनगर टू टोक्यो’’, का विमोचन किया। इन पुस्तकों का संपादन स्वामी रामतीर्थ केंद्र, सहारनपुर के अध्यक्ष आचार्य सर्वेश्वर प्रभाकर और आचार्य गंगेश्वर द्वारा किया गया है।

इस अवसर पर राज्यपाल ने स्वामी रामतीर्थ केंद्र को बधाई देते हुए कहा कि ये पुस्तकें केवल साहित्य और शोध के क्षेत्र में योगदान देने तक सीमित नहीं रहेंगी, बल्कि युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेंगी। उन्होंने कहा कि स्वामी रामतीर्थ के विचार और सिद्धांत वर्तमान समय में भी प्रासंगिक हैं और वैश्विक शांति, प्रेम और एकता का संदेश देते हैं। उन्होंने कहा कि स्वामी रामतीर्थ केवल एक संत ही नहीं, बल्कि एक दूरदर्शी विचारक, व्यावहारिक वेदांत के प्रचारक, कवि और वैश्विक प्रेम के दूत थे। स्वामी रामतीर्थ ने पूरी मानवता को विश्वप्रेम और अध्यात्म का संदेश दिया। यह हम सभी के लिए गर्व का विषय है कि उनकी यात्रा और शिक्षाएं आज भी हमें प्रेरित कर रही हैं। उन्होंने भारत की गौरवशाली परंपरा को आगे बढ़ाते हुए अपने जीवन और विचारों से वैश्विक मानवता को प्रेम, शांति और एकता का मार्ग दिखाया।

राज्यपाल ने कहा कि स्वामी रामतीर्थ ने अपनी ऐतिहासिक यात्रा टिहरी के प्रतापनगर से प्रारंभ की, जो चीन, हांगकांग, सिंगापुर होते हुए जापान तक पहुंची। जापान में उन्होंने भारतीय अध्यात्म और व्यावहारिक वेदांत का प्रचार किया और भारत-जापान की सांस्कृतिक एकता को मजबूत किया। यह पुस्तक इस ऐतिहासिक यात्रा और उनके योगदान को एक बार फिर जीवंत करती है। उन्होंने कहा कि यह पुस्तक भारत और जापान के सम्बन्धों को और प्रगाढ़ करेगी। उन्होंने कार्यक्रम में स्वामी विवेकानंद की जयंती पर मनाए जाने वाले ‘‘राष्ट्रीय युवा दिवस’’ का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि यह दिन स्वामी विवेकानंद जी के आदर्शों को अपनाने और देश व समाज के उत्थान में योगदान देने की प्रेरणा देता है।

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