वसंतोत्सव के दूसरे दिन राज्यपाल ने राजभवन में वसंतोत्सव के दौरान लगी आर्ट गैलरी और स्टॉल्स का भ्रमण किया

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देहरादून। वसंतोत्सव के दूसरे दिन राज्यपाल Lt Gen Gurmit Singh ने राजभवन में वसंतोत्सव के दौरान लगी आर्ट गैलरी और स्टॉल्स का भ्रमण किया। वसंतोत्सव के अवसर पर आर्ट गैलरी और फोटो प्रदर्शनी में चित्रकारों ने अपनी पेंटिंग, आर्ट और क्राफ्ट का प्रदर्शन किया। महोत्सव के दौरान लगी आर्ट गैलरी और फोटो प्रदर्शनी ने उत्तराखण्ड के ग्रामीण और शहरी जीवन, लोक परंपराओं, आध्यात्मिकता और प्रकृति की सुंदरता को अनूठे तरीके से प्रदर्शित किया। प्रदेश के प्रतिभाशाली चित्रकारों ने अपनी कला से पहाड़ी जीवन, नदियों, जंगलों, धार्मिक स्थलों और स्थानीय परंपराओं को जीवंत रूप दिया, जबकि फोटोग्राफरों ने प्रकृति, वन्यजीवों और सांस्कृतिक झलकियों को कैद किया है। राज्यपाल ने वसंतोत्सव में लगे सरकारी, गैर-सरकारी संगठनों और स्वयं सहायता समूहों द्वारा लगाए गए हस्तशिल्प, जैविक उत्पाद, औषधीय पौधों, फल-फूलों और पारंपरिक उत्पादों के स्टॉलों का भी अवलोकन किया। उन्होंने यहां से कुछ स्थानीय उत्पाद खरीदे और विक्रेताओं से उनके कार्यों की जानकारी ली। उन्होंने कहा कि स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देकर ही हम उत्तराखण्ड के ग्रामीण क्षेत्रों की आर्थिक स्थिति को सशक्त कर सकते हैं। वसंतोत्सव के दूसरे दिन लोगों में जबरदस्त उत्साह देखने को मिला। पुष्प प्रदर्शनी, लोक कला, स्थानीय उत्पादों, पारंपरिक वेशभूषा और हस्तशिल्प के स्टॉलों ने पर्यटकों और स्थानीय लोगों को आकर्षित किया। बड़ी संख्या में आए लोगों ने विभिन्न स्टॉलों से स्थानीय उत्पादों की खरीदारी की और उत्तराखण्डी संस्कृति और स्थानीय उत्पादों का आनंद लिया। इस अवसर पर राज्यपाल ने कलाकारों से संवाद किया, उनकी कला की सराहना की और उनकी कुछ उत्कृष्ट पेंटिंग्स खरीद कर उनका उत्साहवर्धन किया। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड की कला और संस्कृति हमारी पहचान है, जिसे संरक्षित और प्रोत्साहित करना हम सभी का दायित्व है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड के युवाओं और महिलाओं में असाधारण कौशल, टैलेंट और पैशन है। यह महोत्सव उनकी प्रतिभा को एक मंच देने का प्रयास है। हमें अपनी संस्कृति, लोककला और स्थानीय उत्पादों को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने की दिशा में मिलकर कार्य करना होगा। राजभवन में आयोजित वसंतोत्सव न केवल कला, स्थानीय उत्पादों, संस्कृति और परंपराओं का उत्सव है, बल्कि यह स्थानीय कलाकारों, उद्यमियों, महिला समूहों और कुटीर उद्योगों के लिए एक प्रेरणादायक मंच भी साबित हो रहा है। लोगों की सहभागिता और प्रोत्साहन से यह आयोजन और भी विशेष बन गया, जिससे उत्तराखण्ड की लोककला, परंपरागत व्यंजन और स्थानीय उत्पादों को नई पहचान मिल रही है।

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