‘उत्तराखण्ड सेल’ उत्तराखण्ड राज्य एवं आईआईएम काशीपुर के लिए एक ‘थिंक टैंक’ का काम करेगी- राज्यपाल

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राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने आज अपने एक दिवसीय जनपद भ्रमण के दौरान आईआईएम काशीपुर में आयोजित उत्तराखण्ड प्रकोष्ठ (उत्तराखण्ड सेल) के स्थापना के कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि प्रतिभाग किया। राज्यपाल ने उत्तराखण्ड सेल का उद्घाटन किया उसके उपरांत राज्यपाल ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।

कार्यक्रम में संबोधित करते हुए राज्यपाल ने कहा कि आज के इस सुअवसर पर जब एक महाभियान की शुरुआत ‘उत्तराखण्ड सेल’ की स्थापना हो रही है, राज्य के तेजी से विकास के लक्ष्य की पूर्ति के लिए आयोजित इस कार्यक्रम में भाग लेने पर मुझे बहुत ही प्रसन्नता की अनुभूति हो रही है। उन्होंने कहा कि जिस तरह गुरु द्रोणाचार्य ने शिक्षा के लिए काशीपुर को चुना था ठीक उसी तरह भारत सरकार ने इस पावन भूमि को प्रबंध के क्षेत्र में ज्ञान की गंगा बहाने के लिए आईआईएम काशीपुर को स्थापित किया है।

उन्होंने कहा कि इस संस्थान की स्थापना का उद्देश्य उत्तराखण्ड के लोगों की सोच में बदलाव लाकर प्रदेश को देश का श्रेष्ठ राज्य बनाना है, उन्होंने कहा कि मुझे खुशी है कि इस संस्थान ने तेरह वर्षों के दौरान निरंतर सफलता के पायदान चढ़े हैं। उन्होंने कहा कि अपने देश के टॉप 20 संस्थानों में जगह बनाने वाले इस संस्थान के लिए, उत्तराखण्ड के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देने का यह सही समय है। राज्यपाल ने कहा कि हमारे पौराणिक ग्रंथों में भी गुरुओं का राज्य कल्याण के लिए योगदान का उल्लेख मिलता है। इसी तरह के योगदान के लिए आज का दिन हमारे राज्य के लिए यादगार दिन रहेगा, जब इस महाभियान की शुरुआत ‘उत्तराखण्ड सेल’ की स्थापना से हो रही है।

राज्यपाल ने कहा कि ‘उत्तराखण्ड सेल’ उत्तराखण्ड राज्य एवं आईआईएम काशीपुर के लिए एक ‘थिंक टैंक’ का काम करेगी जो कि राज्य एवं संस्थान के बीच एक सेतु होगा। उन्होंने कहा कि यह प्रबंधकीय उत्कृष्टता के लिए अपना योगदान देगी, जो सेतु का पूरक होगा। यह सेल उत्तराखण्ड सरकार को संस्थान के विभिन्न विशिष्ट क्षेत्रों के प्राध्यापकों, उत्कृष्टता केंद्रों एवं अन्य संसाधनों से समन्वय एवं सामंजस्य स्थापित करेगी।

राज्यपाल ने कहा कि इसका मुख्य उद्देश्य उत्तराखण्ड सरकार के लिए योजना एवं कार्यक्रम को विकसित, आकलन एवं क्रियान्वयन में योगदान करना है। उन्होंने कहा कि भारत का मस्तक हिमालय, भगवान भोले शंकर का वास स्थान है। उन्होंने कहा कि हमारा सौभाग्य है कि हिमालय की गोद में देवभूमि उत्तराखण्ड स्थित है। भगवान शिव के त्रिशूल की तरह, तीन क्षेत्रों का योगदान उत्तराखण्ड के आर्थिक विकास में आवश्यक है। ये तीन क्षेत्र है टूरिज्म (पर्यटन), कृषि, (उद्यान) एवं तकनीक। उन्होंने कहा कि इस परियोजना में तीन क्षेत्रों में विकास के कार्यों को लेकर राज्य के तीन प्रमुख विश्वविद्यालयों को आईआईएम काशीपुर के साथ काम करने के लिए एमओयू तैयार किया गया है।

राज्यपाल ने कहा कि आध्यात्मिक पर्यटन के लिए कुमाऊं यूनिवर्सिटी, उद्यान के लिए जीबी पंत यूनिवर्सिटी तथा तकनीकी के लिए उत्तराखण्ड टेक्निकल यूनिवर्सिटी के साथ आईआईएम काशीपुर काम करेगा। उन्होंने कहा कि इन तीन क्षेत्रों में राज्य के समग्र विकास के लिए योजना तैयार की जाएगी एवं क्रियान्वयन के लिए उत्तराखण्ड सरकार के अधिकृत विभाग, संस्था एवं मंत्रालय को उत्तराखण्ड प्रशासन के नियमों के अनुसार सम्मिलित किया जायेगा। उन्होंने कहा कि यह महत्वाकांक्षी योजना उत्तराखण्ड के लोगों की सोच में बदलाव लाने के लिए अहम कदम है जिससे कि इस राज्य के हर एक नागरिक के मन में कुछ कर दिखाने की चाहत जाग्रत हो। जिसमें भारतीय प्रबंधन संस्थान काशीपुर का अहम रोल होगा।

राज्यपाल ने कहा कि देश और दुनिया के बदलते परिदृश्य में नई-नई चुनौतियां आती रहेंगी। एक विश्व स्तरीय प्रबंधन संस्थान विद्यार्थियों को उद्यमों से जुड़ी अनेक समस्याओं को सुलझाने के लिए तैयार करता है। उन्होंने कहा कि विश्व में हो रहे नए और सफल प्रयोगों से भी हमें सीखना चाहिए। हमें कैंपस के आस-पास उद्योग, व्यापार और अर्थव्यवस्था को मजबूत करने का एक इकोसिस्टम विकसित करना चाहिए जिससे हमारे देश के लिए विकसित राष्ट्र बनने का मार्ग सुगम हो। उन्होंने कहा कि मुझे विश्वास है कि प्रदेश के शिक्षण संस्थान और उद्योग इस दिशा में मिलकर कार्य करेंगे और प्रदेश के समावेशी विकास में अपना योगदान देंगे।

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