देहरादून। आज राजभवन में उत्तराखण्ड की लोक संस्कृति और पर्यावरण संरक्षण का पर्व ‘‘हरेला’’ मनाया गया। राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने हरेला पर्व के अवसर पर राजभवन परिसर में लुकाट् प्रजाति के पौधे का रोपण किया। इस अवसर पर राजभवन परिसर में उपस्थित अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने भी परिसर में लुकाट सहित नीम, प्लम, कटहल, रंगीन प्रजाति के आम, अमरूद व जामुन के पौधों का वृक्षारोपण किया। हरेला पर्व के अवसर पर छोलिया नर्तक दल ने पारंपरिक वाद्ययंत्रों के साथ विभिन्न कार्यक्रम प्रस्तुत किए और इस पर्व की शोभा बढ़ाई।
हरेला पर्व के अवसर पर देश एवं प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं देते हुए राज्यपाल ने कहा कि उत्तराखण्ड में प्रकृति को महत्व देने की हमारी परंपरा रही है, प्रकृति के विभिन्न रूपों की हम पूजा करते हैं। उन्होंने कहा कि हरेला पर्व हमारी लोक संस्कृति, प्रकृति और पर्यावरण के साथ जुड़ाव का भी प्रतीक है और यह हम सभी की जिम्मेदारी है कि हम प्रकृति के संरक्षण एवं संवर्धन का संकल्प लें। उन्होंने कहा कि हमारी आने वाली पीढ़ी को शुद्व वातावरण मिल सके इसके लिए हम सभी को वृक्षारोपण व पर्यावरण संरक्षण के प्रति गंभीरता से कार्य करने की जरूरत है।
इस अवसर पर राज्यपाल ने कहा कि हम सभी उत्तराखण्ड वासियों ने हमेशा से ही पर्यावरण के संरक्षण और संवर्धन का कार्य किया है। राज्यपाल ने कहा कि उत्तराखण्ड में 70 प्रतिशत से भी अधिक वनाच्छादित क्षेत्र हैं। पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता हेतु कई आंदोलन की शुरुआत यहीं से प्रारम्भ हुए। इस लिहाज से पर्यावरण संरक्षण के प्रति हमारी जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है।
राज्यपाल ने कहा कि आज पूरे विश्व में ग्लोबल वार्मिंग जैसी चुनौतियां बढ़ रही हैं। यह पर्व ऐसी चुनौतियों के समाधान के लिए भी हमें प्रेरित करता है। उन्होंने कहा कि हमें वृक्षारोपण के साथ-साथ उनकी देखभाल भी करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि चिपको आंदोलन की प्रणेता गौरा देवी जी एवं उनके उपरांत सुंदरलाल बहुगुणा जी का उत्तराखंड के योगदान अमूल्य है। राज्यपाल ने कहा कि वर्तमान समय में कल्याण सिंह ‘मैती’ जी भी पर्यावरण संरक्षण हेतु बेहतरीन कार्य कर रहे हैं।