रुड़की। “एक स्वास्थ्य, एक विश्व” 2025 कार्यक्रम के दूसरे दिन सीएसआईआर-सीबीआरआई रुड़की में एक उत्साहपूर्ण प्री-कॉन्फ़्रेंस कार्यशाला आयोजित की गई, जिसमें भारत और जापान के युवा प्रतिभागियों ने सक्रिय रूप से भाग लिया। इस कार्यक्रम में कुल 23 छात्रों और टोक्यो विश्वविद्यालय, टोक्यो डेंकी (जापान), टीआईईटी पंजाब, एनआईटी उत्तराखंड, सीओईआर विश्वविद्यालय तथा अकादमी ऑफ़ साइंटिफ़िक एंड इनोवेटिव रिसर्च (एसीएसआईआर) सहित विभिन्न संस्थानों के चार प्रोफेसरों ने हिस्सा लिया।
कार्यशाला के लिए छात्रों को सात टीमों में विभाजित किया गया, जिन्हें “बिल्डिंग्स एंड ब्रिजेस” की थीम पर कार्य करना था। प्रतिभागियों का उत्साह और ऊर्जा पूरे सत्र को बेहद रोचक और सहयोगात्मक बनाते रहे।
सीएसआईआर-सीबीआरआई के वरिष्ठ विशेषज्ञों—डॉ. डी. पी. कानूंगो, डॉ. अजय चौरसिया (आयोजन सचिव), डॉ. देबदत्ता घोष और डॉ. आर. शिवा चिदंबरम (प्री-कॉन्फ़्रेंस कार्यशाला समन्वयक)—ने छात्रों से संवाद किया और भवन डिज़ाइन, पुल संरचनाओं तथा आधुनिक अवसंरचना से जुड़े महत्वपूर्ण विचार साझा किए।
डॉ. अजय चौरासिया ने सभी छात्रों और प्रोफेसरों का स्वागत करते हुए कार्यक्रम की रूपरेखा और स्ट्रक्चरल कॉन्सेप्ट समझने के महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला।
डॉ. डी. पी. कानूंगो ने भी छात्रों को संबोधित किया और आज के समय में अवसंरचना विकास के महत्व पर जोर दिया। सौहार्द्रपूर्ण माहौल बनाने के लिए डॉ. अजय चौरासिया ने सभी प्रतिभागियों को गुलाब भेंट किए। इसके बाद डॉ. आर. शिवा चिदंबरम और डॉ. देबदत्ता घोष ने इमारतों और पुलों के विषय पर तकनीकी मार्गदर्शन प्रदान किया, जिसमें उन्होंने संरचनात्मक डिज़ाइन से संबंधित व्यावहारिक पहलुओं पर चर्चा की।
इन विचार-विमर्शों के बाद छात्रों की टीमों ने अपने-अपने स्ट्रक्चरल मॉडल तैयार किए, जिन्हें बाद में महत्वपूर्ण लोडिंग परिस्थितियों के तहत परीक्षण किया गया।
यह कार्यशाला अंतरराष्ट्रीय शैक्षणिक आदान-प्रदान का एक सशक्त मंच साबित हुई और छात्रों को स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग में नवाचारपूर्ण विचारों को खोजने के लिए प्रेरित किया।
