देहरादून। राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने आज राजभवन में नागालैंड और असम राज्य के वासियों को पूरे उत्तराखण्ड की ओर से राज्य स्थापना दिवस की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं दी। इस अवसर पर राजभवन में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने उत्तराखण्ड में शिक्षा ग्रहण करने आए छात्र-छात्राओं से मुलाकात की। इस अवसर पर नागालैंड एवं असम के इन छात्र-छात्राओं द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया गया। राज्यपाल ने सभी छात्र-छात्राओं को उपहार देकर सम्मानित किया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि अपना देश विविधताओं से भरा एक अनोखा राष्ट्र है, जिसका निर्माण अनेक बोली-भाषाओं, समृद्ध संस्कृतियों और अनेक धर्मों के ताने-बानों से हुआ है। इस अवसर पर उन्होंने देशवासियों से अपने देश की विविधता में एकता का जश्न मनाने का अनुरोध किया। उन्होंने कामना की, कि ‘‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’’ के उद्देश्य को पूरा करने के लिए देश के सभी राज्यों में सांस्कृतिक रूप से जुड़ाव हो, हम सभी भारतीयों के आपसी संबंध मजबूत हों।
राज्यपाल ने कहा कि विभिन्न राज्यों के लोगों का आपसी एवं सांस्कृतिक मेल-मिलाप बहुत जरूरी है। जहां एक ओर इससे आपसी रिश्ते मजबूत होंगे वहीं दूसरी ओर आपसी समझ और विश्वास भी बढ़ेगा, यही भारत के ताकत की नींव भी है। ‘‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’’ के रूप में देश के प्रत्येक राजभवन में सभी प्रदेशों के स्थापना दिवसों के आयोजन की अनूठी पहल के लिए उन्होंने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त किया।
राज्यपाल ने कहा कि नागालैंड अपनी विशिष्ट पहचान और विविधताओं के लिए विशेष रूप से जाना जाता है। यहां के आदिवासी समुदाय, उनकी भाषाएं, पहनावा, लोक कला, नृत्य और त्योहार भारत ही नहीं, अपितु पूरे विश्व में प्रसिद्ध हैं। समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करने वाला नागालैंड का प्रसिद्ध “Hornbill Festival” हर साल अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मनाया जाता है। यह राज्य अपनी प्राचीन परंपराओं को संजोए रखने के साथ ही आधुनिकता के साथ कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ रहा है।
उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड और नागालैंड दोनों ही राज्य प्राकृतिक सौंदर्य और ऐतिहासिक महत्त्व से संपन्न हैं। उत्तराखण्ड जहां अपने सुंदर और आकर्षित पहाड़ों, मंदिरों और धार्मिक धरोहरों के लिए प्रसिद्ध है, वहीं नागालैंड अपने जंगलों, हरियाली से पूर्ण इलाकों और सांस्कृतिक धरोहरों के लिए समर्पित है। यह दोनों राज्य अपने-अपने क्षेत्रों में विविधता के प्रतीक हैं, और दोनों की जनता अपने आदिवासी, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पहलुओं पर गर्व करती है। उन्होंने कहा कि वनस्पतियों और जीवों की समृद्धता को देखते हुए नागालैंड को पूरब का स्विट्जरलैंड भी कहा जाता है। उन्होंने ‘नागालैंड की रानी लक्ष्मीबाई’ के रूप में जानी जाने वाली रानी गाइदिन्ल्यू का स्मरण करते हुए कहा कि रानी गाइदिन्ल्यू ने स्वतंत्रता संग्राम में अद्वितीय साहस का परिचय देकर यह साबित कर दिया कि भारतीय नारियां किसी भी क्षेत्र में किसी से भी कम नहीं है। नागालैंड की कला और हस्तशिल्प, विशेष रूप से यहां के पारंपरिक वेशभूषा, शिल्प और मिट्टी के बर्तन वैश्विक बाजार में अपनी एक अलग पहचान बना चुके हैं।