राज्यपाल ने डॉ. श्वाब से बी.ए.एस.एफ. जर्मनी में चल रहे औद्योगिक अनुसंधान की जानकारी प्राप्त की और उनके वैज्ञानिक योगदान की सराहना की

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देहरादून। दून विश्वविद्यालय ने यूजीसी द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अंतर्गत “प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस” की नियुक्ति की शुरुआत की है। इस श्रृंखला में दून विश्वविद्यालय ने बी.ए.एस.एफ. जर्मनी के सीनियर प्रिंसिपल साइंटिस्ट प्रो. थॉमस श्वाब को “प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस” के रूप में नियुक्त किया है। आज प्रो. थॉमस श्वाब ने कुलपति प्रो. सुरेखा डंगवाल के साथ Lt Gen Gurmit Singh से मुलाकात की। डॉ. थॉमस श्वाब यूनिवर्सिटी ऑफ सेंट एंड्रयूज (स्कॉटलैंड) में ऑनरेरी प्रोफेसर भी हैं। यह विश्व की सबसे पुरानी और प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थाओं में से एक है, जिसकी स्थापना लगभग 700 वर्ष पूर्व हुई थी। बी.ए.एस.एफ. जर्मनी 150 वर्ष पुरानी अग्रणी वैश्विक केमिकल कंपनी है, जिसमें 10,000 से अधिक वैज्ञानिक अनुसंधान कार्यों में संलग्न हैं। राज्यपाल ने कहा कि यूजीसी दिशा-निर्देशों के अनुरूप यह पहल दून विश्वविद्यालय की उत्कृष्ट शैक्षणिक परंपरा और नवाचार के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती है। उन्होंने कहा कि ऐसे प्रख्यात विशेषज्ञ, जो अपने क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दे रहे हैं, वास्तव में “प्रोफेसर ऑफ बेस्ट प्रैक्टिस” कहलाने के योग्य हैं। राज्यपाल ने डॉ. श्वाब से बी.ए.एस.एफ. जर्मनी में चल रहे औद्योगिक अनुसंधान की जानकारी प्राप्त की और उनके वैज्ञानिक योगदान की सराहना की। राज्यपाल ने कहा कि अन्य विश्वविद्यालयों को भी उद्योग, अनुसंधान एवं विकास क्षेत्र के प्रतिष्ठित विशेषज्ञों तथा प्रोफेशनल्स को, गुणवत्ता एवं मानकों से समझौता किए बिना, “प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस” के रूप में जोड़ने की दिशा में पहल करनी चाहिए, ताकि अकादमिक जगत और औद्योगिक जगत के बीच प्रभावी समन्वय स्थापित हो सके।

कुलपति प्रो. सुरेखा डंगवाल ने बताया कि राज्यपाल के सुझावों के अनुरूप दून विश्वविद्यालय ने डॉ. श्वाब को ऑनरेरी बेसिस पर “प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस” नियुक्त किया है, जिससे विश्वविद्यालय पर कोई वित्तीय भार नहीं पड़ता। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि डॉ. श्वाब ने अपनी अंतर्राष्ट्रीय यात्रा का समस्त व्यय स्वयं वहन किया है।

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