राष्ट्रपति ने एम्स, कल्याणी के दीक्षांत समारोह की शोभा बढ़ाई

National news

महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने आज एम्स, कल्याणी के प्रथम दीक्षांत समारोह की शोभा बढ़ाई।

इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि अपने सामाजिक दायित्वों के प्रति सजग डॉक्टरों ने राष्ट्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। स्वतंत्रता के समय औसत जीवन प्रत्याशा केवल 32 वर्ष थी, जो अब दोगुनी से भी अधिक होकर लगभग 70 वर्ष हो गई है। पिछले कुछ वर्षों में टीकाकरण के क्षेत्र में असाधारण प्रगति हुई है। कई बीमारियों का उन्मूलन किया गया है। उदाहरण के लिए, पिछले वर्ष भारत को ट्रेकोमा-मुक्त घोषित किया गया। लेकिन अभी भी अनेक चुनौतियाँ मौजूद हैं, जिनसे निपटने में नौजवान डॉक्टर निर्णायक भूमिका निभाएँगे। मधुमेह, हृदय रोग और मोटापे जैसी स्वास्थ्य समस्याओं को नियंत्रित करने में डॉक्टरों की भूमिका सरकार और अन्य हितधारकों से भी बड़ी है।

उपाधि प्राप्‍त करने वाले विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि एम्स, कल्याणी के पहले बैच के विद्यार्थी होने के नाते, वे इस संस्थान के सबसे वरिष्ठ पूर्व विद्यार्थी हैं। इस संस्थान की पहचान बनाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका होगी। इस प्रकार, वे एम्स, कल्याणी के भविष्य-निर्माता भी हैं।

चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में प्रतिदिन हो रहे नित- नए बदलावों को रेखांकित करते हुए राष्ट्रपति ने विद्यार्थियों को आजीवन सीखने वाला बनने तथा नए अनुसंधान और चिकित्सा पद्धतियों के बारे में अपडेट रहने की सलाह दी।

राष्ट्रपति ने कहा कि नियोजित कल्याणी शहर की आधारशिला डॉ. बिधान चंद्र रॉय ने रखी थी। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के रूप में अपने लंबे कार्यकाल के दौरान भी, डॉ. बी.सी. रॉय रोगियों की निःशुल्क सेवा करते रहे। उन्होंने एम्स कल्याणी के विद्यार्थियों, शिक्षकों और प्रशासकों से कहा कि वे एम्स कल्याणी को राष्ट्रीय गौरव का संस्थान बनाने का संकल्प लें। उन्होंने उन्हें गरीबों और वंचितों को निःशुल्क चिकित्सा सेवाएँ प्रदान करने के डॉ. बी.सी. रॉय के उदाहरण का अनुसरण करने की भी सलाह दी।

राष्ट्रपति ने डॉक्टरों से कहा कि वे ऐसी जीवनशैली अपनाएँ, जो जन साधारण के लिए मिसाल बन सके। उन्होंने कहा कि आनुवंशिक लक्षणों की बात अलग है, लेकिन उचित आहार और जीवनशैली की मदद से स्वास्थ्य से संबंधित ज़्यादातर समस्याओं की रोकथाम की जा सकती है या काफी हद तक उनका समाधान किया जा सकता है। उन्‍होंने कहा कि इलाज के लिए आने वाले लोगों को दवाओं के अलावा, जीवनशैली से जुड़ी सलाह भी दी जानी चाहिए। उन्‍होंने कहा कि जब डॉक्टर कोई सलाह देता है, तो उसका लोगों पर ज़्यादा असर होता है। जब डॉक्टर खुद आदर्श के रूप में प्रस्तुत करता है, तो उसका असर और भी ज़्यादा होता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *